Chhatrapati Shivaji Jayanti: जब भी भारतीय इतिहास के महान राजाओं की चर्चा होती है, तो छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम उनमें सर्वोपरि होता है। वे एक वीर योद्धा, कुशल शासक, सैन्य रणनीतिकार थे और मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे। शिवाजी के जीवन के अनेक महान किस्से हैं, जो हमें वीरता और साहस की प्रेरणा देते हैं। इस लेख में, हम आपको छत्रपति शिवाजी के जीवन की प्रमुख घटनाओं के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
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शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के वे महान राजनेता थे, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और अपने वीरता और साहस से समर्थ थे। उन्होंने अपने जीवन में धर्म की रक्षा के लिए अनेक युद्ध लड़े और समाज को समृद्धि और सुरक्षा प्रदान की। आज, 19 फरवरी 2024 को, हम उनकी जयंती मना रहे हैं और उनके महान कार्यों को स्मरण कर रहे हैं। इस अवसर पर, हमें शिवाजी महाराज के जीवन के उन सुनहरे पलों को याद करने का समय है, जो हमें उनके वीरता और समर्पण की दिशा में प्रेरित करते हैं।
शिवाजी का जन्म
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को महाराष्ट्र के शिवनेरी दुर्ग, पुणे में हुआ था। उनके पिता का नाम शाहाजी और माता का नाम जीजाबाई था। शिवाजी के जीवन पर उनकी माता के धार्मिक गुणों ने गहरा प्रभाव डाला था, जो उन्हें साहसी और न्यायप्रिय बनाते थे।
शिवाजी की शिक्षा
छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही प्राप्त हुई थी। उन्हें धार्मिक, राजनीतिक, और युद्ध विद्या का पूरा ज्ञान दिया गया। उनकी मां जीजाबाई और कोंडदेव ने महाभारत, रामायण, और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रंथों का अध्ययन कराया, जिससे उनकी सामर्थ्य और धार्मिक नैतिकता में वृद्धि हुई। उन्होंने बचपन में ही राजनीति और युद्ध नीति के बारे में सीखा। उनका बचपन सत्संग, राजा राम, गोपाल, संतों, रामायण, और महाभारत की कहानियों के बीच बीता और उन्होंने सभी कलाओं में माहिरत हासिल की।
शिवाजी की पत्नी और बच्चे
कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज की कई पत्नियां थीं। उनकी पहली शादी 14 मई 1640 में सईबाई निंबालकर के साथ हुई थी, जब उनकी उम्र मात्र 10 साल थी। इस विवाह से उनकी 4 संतानें हुईं। उनकी दूसरी पत्नी का नाम सोयराबाई मोहिते था, जो उन्हें काफी चर्चित और समर्थ महिला मानी जाती थी। हालांकि, उनकी अन्य पत्नियों के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। शिवाजी की मृत्यु के बाद, उनका उत्तराधिकार संभाजी को मिला, जो उनके बड़े बेटे थे।
शिवाजी द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध
- तोरणा फोर्ट की लड़ाई (1645) – पुणे में स्थित तोरणा किला प्रचंडगढ़ के रूप में भी प्रसिद्ध है। इस युद्ध में शिवाजी भी भाग लेते थे, जब उनकी उम्र मात्र 15 साल थी। बचपन से ही उन्होंने अपनी योद्धा कला का परिचय दिया और इस लड़ाई में उन्होंने विजय की प्राप्त की थी।
- प्रतापगढ़ का युद्ध (1659) – यह युद्ध महाराष्ट्र के सतारा के पास स्थित प्रतापगढ़ किले पर लड़ा गया था। इस संघर्ष में शिवाजी ने आदिलशाही सुल्तान के साम्राज्य पर हमला किया और प्रतापगढ़ किला को जीत लिया।
- पवन खींड की लड़ाई (1660) – यह युद्ध महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास विशालगढ़ किले की सीमा में हुआ था। इस महायुद्ध में बाजी प्रभु देशपांडे और सिद्दी मसूद आदिलशाही के बीच संघर्ष था।
- सूरत का युद्ध (1664) – यह युद्ध गुजरात के सूरत शहर के पास हुआ था, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सम्राट इनायत खान के बीच महासंग्राम लड़ा गया। इस युद्ध में शिवाजी महाराज की विजय हुई थी।
- पुरंदर का युद्ध (1665) – इस युद्ध में शिवाजी ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक महत्वपूर्ण लड़ाई लड़ी और विजय प्राप्त की।
- सिंहगढ़ का युद्ध (1670) – इसे “कोंढाना के युद्ध” के रूप में भी जाना जाता है। शिवाजी ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ते हुए पुणे के पास स्थित सिंहगढ़ (तत्कालीन कोंढाना) किले को जीत लिया था।
- संगमनेर की लड़ाई (1679) – यह एक महत्वपूर्ण युद्ध था जो मुगलों और मराठाओं के बीच लड़ा गया था। इस आखिरी लड़ाई में मराठा सम्राट शिवाजी ने भाग लिया था।
शिवाजी को छत्रपति की उपाधि कैसे मिली?
- शिवाजी को कई उपाधियाँ प्राप्त हुई थीं। 6 जून, 1674 को रायगढ़ में उन्हें “मराठा किंग” का खिताब दिया गया। इसके अलावा, उन्हें “छत्रपति”, “क्षत्रियकुलवंतस”, “हिन्दवा धर्मोद्धारक” जैसी उपाधियाँ भी उनकी वीरता और योगदान के कारण प्रदान की गईं।
- आदिलशाह का षड्यंत्र: बीजापुर के शासक आदिलशाह ने एक षड्यंत्र का षड्यंत्र रचा और शिवाजी को गिरफ्तार करने की योजना बनाई। इस षड्यंत्र में शिवाजी तो बच गए, लेकिन उनके पिता शाहाजी भोसले को आदिलशाह ने बंदी बना लिया। शिवाजी ने हमला करके पहले अपने पिता को मुक्त कराया, और फिर पुरंदर और जावेली के किलों पर भी अपना अधिकार कर लिया।
- उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई जंग लड़ी और जीतीं।
- उनकी गुरिल्ला युद्ध कला दुश्मनों पर भारी पड़ती थी।
- उनकी नीतियों, सैन्य योजनाओं और युद्ध प्रतिभा की वजह से सब उनका लोहा मानते थे।
- उनकी शक्तिशाली सेना की वजह से वे महाराष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता बने।
- औरंगजेब का धोका: औरंगजेब ने शिवाजी को धोके से कैद कर लिया था। लेकिन अपनी अक्लमंदी और चतुराई से वे कैद से छूट गए और फिर औरंगजेब की सेना के खिलाफ युद्ध किया। पुरंदर संधि के तहत दिए हुए 24 किलों को वापस जीत लिया।
- 3 अप्रैल 1680 को महान छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई।