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Maharani Season 3 Review: सोहम शाह, हुमा कुरैशी, और अमित ने एक सीन में बिहार के रोमांचक नाटक को प्रस्तुत किया।

Photo Credit – Rediff

 

Movie Review  : महारानी 3

कलाकार  : हुमा कुरैशी , अमित सियाल , दिव्येंदु भट्टाचार्य , विनीत कुमार , अनुजा साठे , प्रमोद पाठक और अतुल तिवारी व अन्य
लेखक : सुभाष कपूर , नंदन सिंह और उमा शंकर सिंह
निर्देशक : सौरभ भावे
निर्माता : नरेन कुमार और डिंपल खरबंदा
ओटीटी  : सोनी लिव
रिलीज  :  7 मार्च 2024
Maharani Season 3 Review: सोनी लिव के प्रतीक्षित वेब सीरीज’ महारानी’ का तीसरा सीजन ओटीटी पर स्ट्रीम हो रहा है । इस सीरीज की कहानी सीजन दो के आगे की है, जिसमें रानी भारती राजनीतिक दंगल की एक महान खिलाड़ी बनकर उभरी हैं । सीरीज के निर्माता सुभाष कपूर ने इस बार निर्देशन की जिम्मेदारी सौरभ भावे को सौंपी है, जो सुभाष कपूर की विचारधारा को लेकर आगे बढ़े हैं । पहले सीजन का निर्देशन करण शर्मा ने किया था, और दूसरे सीजन का निर्देशन रवींद्र गौतम ने किया था ।
‘ महारानी’ सीरीज का तीसरा सीजन वहाँ से आरंभ होता है जहाँ पिछले सीजन की कहानी समाप्त हुई थी । रानी भारती तीन सालों से जेल में हैं । उनके राजनीतिक सलाहकार, मिश्राजी, बार- बार उन्हें जमानत पर जेल से रिहाई की सलाह देते हैं, लेकिन रानी भारती हर बार इनकी प्रस्तावित सलाह को नकारती हैं । इसी बीच, जब रानी भारती के बच्चों पर जानलेवा हमला होता है, तब वह जमानत पर रिहा होती हैं । रानी भारती के विरोधियों को लगता है कि जेल में रहकर वह अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं, लेकिन वास्तव में, वह जेल में अपनी सेना की तैयारी करती हैं । जेल से रिहा होने के बाद, वह न केवल खुद को पति की हत्या के आरोप से बेगुनाह साबित करती हैं, बल्कि अपने विरोधियों को भी पटकती हैं और एक बार फिर से बिहार के सियासत की’ महारानी’ बन जाती हैं ।
पहले सीजन में, एक अनपढ़ और घर- गृहस्थी महिला की कहानी थी जो मुख्यमंत्री बन गई और प्रदेश की राजनीति में आईं । दूसरे सीजन में, आरक्षण और अलग झारखंड राज्य की मांग पर जोर दिया गया था । और अब, तीसरे सीजन में, रानी भारती को सियासत की खिलाड़ी के रूप में दिखाया गया है, जिसकी सियासी चाल से राजनीति के अखाड़े के बड़े- बड़े धुरंधर चकमा खा जाते हैं । इस सीरीज की मूल कड़ी रानी भारती और नवीन कुमार के बीच है ।
सीरीज के निर्माता सुभाष कपूर ने इसकी कहानी को नंदन सिंह और उमा शंकर सिंह के साथ मिलकर लिखा है । पटकथा रोचक और संवाद विशेष हैं । एक कहावत कहती है कि सूर्य, चंद्र और सत्य कभी भी छुपाया नहीं जा सकता, और पूरी सीरीज इसी कहानी के आसपास घूमती है । रानी भारती और नवीन कुमार अपनी- अपनी राजनीतिक विरासत को बचाने के लिए एक- दूसरे पर कैसे वार करते हैं, यही सीरीज की मुख्यता है । राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोग बिहार की राजनीति को अच्छी तरह से समझेंगे । यद्यपि इस सीरीज की कहानी, पात्र, स्थान, घटनाएं, जीवनशैली, कानूनी प्रक्रियाएँ, धार्मिक धारणाएं आदि सभी काल्पनिक हैं, लेकिन सीरीज देखने के बाद स्पष्ट होता है कि कलाकारों ने कैसे किरदारों को निभाया है ।
तीसरा सीजन आठ एपिसोड का है और इस बार कहानी को लेकर बहुत ज्यादा कहने की आवश्यकता नहीं है । कुछ एपिसोड की रफ्तार धीमी है, जिससे लगता है कि कहानी को जबरन खींचा जा रहा है । लेकिन इसे बिहार की सामाजिक और राजनीतिक घटनाओं के साथ पेश किया गया है, जो बहुत ही रोचक लगते हैं । एक रोचक मोड़ आता है जब इस सीरीज की कहानी महिला मुख्यमंत्री के बजाय राजनीति की दुनिया में एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में उभरती है, और माना जाता है कि बिहार से अगर प्रधानमंत्री के पद के लिए कोई दावेदार हो सकता है, तो वह रानी भारती है ।
सीरीज में कलाकारों के अभिनय प्रदर्शन की बात करें, तो हुमा कुरैशी ने फिर से रानी भारती के किरदार में शानदार प्रदर्शन किया है । इस बार उन पर कुछ अधिक दबाव है, लेकिन उन्होंने दर्शकों की आशाओं पर पूरा उतरा है । उनके मजबूत अभिनय ने सीरीज को शानदार बनाया है । दूसरे सबसे मजबूत कड़ी में अमित सियाल हैं, नवीन कुमार की भूमिका में उनका अभिनय उत्कृष्ट है । राजनीतिक सलाहकार मिश्रा जी की भूमिका में प्रमोद पाठक, राज्यपाल की भूमिका में अतुल तिवारी के अलावा दिव्येंदु भट्टाचार्य, कनी कुश्रुति, विनीत कुमार और अनुजा साठे ने अपने अभिनय से चर्चा किया । सोहम शाह इस बार सिर्फ एक ही सीन में नजर आए हैं ।
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