Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड्स, जो हर तिमाही की शुरुआत में सरकार द्वारा 10 दिनों की अवधि के लिए उपलब्ध किए जाते हैं, सरकारी नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं। इन बॉन्ड्स की खरीदारी की जाती है और यह एक माध्यम है जिसके माध्यम से सरकार निवेशकों से निधि जुटाती है। सरकार ने चुनावी बॉन्ड की खरीद के लिए जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिनों को निर्धारित किया है। यह एक प्रभावी तरीका है जिसके माध्यम से सरकार चुनावी वित्त को प्राप्त करती है और लोगों को निवेश करने का एक सुरक्षित और स्थिर माध्यम प्रदान करती ह।
विस्तार
इस समय, उच्चतम न्यायालय ने 2024 के आम चुनावों से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की मान्यता पर अपना निर्णय सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया है और इस पर रोक लगा दी है। यह निर्णय चुनाव प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने की संकेत देता है।
क्या है चुनावी बॉन्ड?
चुनावी बॉन्ड एक प्रकार का आश्वासन पत्र होता है जिसे भारतीय स्टेट बैंक की कुछ चयनित शाखाओं पर भारतीय नागरिकों या कंपनियों द्वारा खरीदा जा सकता है। यह बॉन्ड नागरिकों या कॉरपोरेट कंपनियों के द्वारा चुने गए राजनीतिक दलों को आर्थिक सहायता प्रदान करने का एक माध्यम है।
चुनावी बॉन्ड की शुरुआत कब हुई?
चुनावी बॉन्ड को फाइनेंशियल (वित्तीय) बिल (2017) के साथ प्रस्तुत किया गया था। 29 जनवरी, 2018 को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना 2018 को अधिसूचित किया था, जिसके साथ इसकी कार्यवाही आरंभ हुई।
कब-कब बिक्री के लिए मुहैया होता था चुनावी बॉन्ड
चुनावी बॉन्ड तिमाही की शुरुआत में सरकार द्वारा 10 दिनों के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं और जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर के पहले 10 दिनों में उनकी खरीदारी होती है। इसके साथ ही, लोकसभा चुनाव के वर्ष में सरकार ने 30 अतिरिक्त दिनों की अवधि का निर्धारण किया था।
चुनावी बॉन्ड का मकसद क्या था?
चुनावी बॉन्ड के प्रारंभ होने पर सरकार ने दावा किया था कि इससे राजनीतिक फंडिंग के मामलों में पारदर्शिता बढ़ेगी। इस बॉन्ड के माध्यम से किसी भी पार्टी को चंदा देने की सुविधा थी।
चुनावी बॉन्ड से राजनीतिक दलों को कैसे मिलता था लाभ?
किसी भी भारतीय नागरिक, कॉरपोरेट या अन्य संस्था चुनावी बॉन्ड खरीद सकते थे और उन्हें बैंक में भुनाकर राजनीतिक पार्टियों को दान के लिए उपयोग किया जा सकता था। बैंक चुनावी बॉन्ड को वही ग्राहक बेचते थे जिनका केवाईसी सत्यापित था। बॉन्ड पर चंदा देने वाले के नाम का उल्लेख नहीं होता था।
क्या चुनावी बॉन्ड में निवेश करने पर कुछ रिटर्न मिलता है?
चुनावी बॉन्ड में निवेश करने वाले को कोई आधिकारिक रिटर्न नहीं मिलता था, यह बॉन्ड एक रसीद की तरह होता था। जिस पार्टी को आप चंदा देना चाहते हैं, उसके नाम से बॉन्ड खरीदा जाता था और उस पैसे को संबंधित राजनीतिक दल को हस्तांतरित कर दिया जाता था।
क्या चुनावी बॉन्ड में निवेश करने वाले को कर में छूट मिलती है?
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा देने से, दी गई राशि पर इनकम टैक्स की धारा 80जीजीसी और 80जीजीबी के तहत छूट दी जा सकती है। इससे राजनीतिक पार्टियों को सीधे चंदा मिलता है और नागरिकों को भी टैक्स की छूट मिलती है।